हुज़ूर-ए-आला..

बेअदब है इरादा जनाब का,
मुड़-मुड़ कर देखते हैं हुज़ूर-ए-आला,
उलझन है हमें…
ये इश्क़ की साज़िश है के मोहब्बत का क़ायदा?

हिचकोले खाती, डोलती, झूमती ये नदियाँ..
मेरी कश्ती में ना साहिल है, ना किनारा..
जाने कहाँ डूब जाए..
ये पानी की गहराई है के लहरों की अठखेलियाँ…
हुज़ूर-ए-आला,
उलझन है हमें…
ये इश्क़ की साज़िश है के मोहब्बत का क़ायदा?

ऐ सनम! मुझ पर इतना करम कर…
जो तुझे अपना माने बैठे हैं, उन पर ज़रा रहम कर…
इस बेवजह के वहम की या तो दवा कर या ये सितम करना बंद कर!!

बद्तमीज़ हो गईं हैं, धड़कनों की नादानियाँ…
दिल की ग़ुस्ताख़ियाँ, बेआबरू हुईं…
देर हुई, ख़ैर! मुलाक़ात हुई…
मेरे तरानों की महफ़ीलें आज सरे आम निलाम हुईं…
और अब भी दिल को उलझन है,
ये इश्क़ की साज़िश है के मोहब्बत का क़ायदा !!

#रshmi

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