बेटी हूँ मैं..

मुझे मेरी जड़ों से जुदा मत करो, वरना हर उखड़े पौधे सी मैं भी मुरझा जाऊँगी.. अस्तित्व को अपनें ख़ोकर ना उसने किसी को कुछ दिया ना वो किसी को याद आया। मुझे मेरी पहचान से जुदा मत करो, वरना हर फटे पन्ने सी मैं भी तहस-नहस हो जाऊँगी.. लिखे हर अक्षर को फाड़ कर …