हम अकेलेपन के अँधेरे में खो रहे थे, ये दुनिया कहती थी हम घर में सो रहे थे... दर्द भी छुपाते थे (और) मरहम भी लगाते थे, हम दरअसल दीवारों में घर ढ़ो रहे थे... कुछ अरमान भी थे ख़ैर यूं तो, वो मग़र झूमर पर झूल रहे थे... एक कहानी बन गई दरवाज़ों के …

Some scattered thoughts and the sound of life, in words.
हम अकेलेपन के अँधेरे में खो रहे थे, ये दुनिया कहती थी हम घर में सो रहे थे... दर्द भी छुपाते थे (और) मरहम भी लगाते थे, हम दरअसल दीवारों में घर ढ़ो रहे थे... कुछ अरमान भी थे ख़ैर यूं तो, वो मग़र झूमर पर झूल रहे थे... एक कहानी बन गई दरवाज़ों के …
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