मेरी हथेलियों पे वो चाँद चमकता है,मेरी आँखों में एक ख़्वाब धड़कता है...कुछ था जो छिन गया है,वो छिन कर भी मुझमें चहकता है....सीने पर एक बोझ सा है,बोझ वो कैसा हर बार खटकता है...बात भी करे अब कौन मुझसे,मेरी ज़ुबाँ पे बस तेरा नाम अटकता है...ऐसे कौन आता और चला जाता है,मेरे ख़्याल में …
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