जीवन…

थोड़ी मुस्कुराहटें, थोड़े आंसू साथ रखना…
थोड़ी खुशियां, ग़म भी बाँट लेना…
क्या जाने ज़िन्दगी में कब कौन मुकर जाए,
तुम्हें अकेला छोड़ जाए…
तब ये मुस्कुराहटें खुशियां देती हैं और
आंसू ग़मों से समझौता करते हैं …

जीवन बड़ा उसूलों वाला होता है,
जितना लेता है उतना ही लौटा देता है…
हम भी तो उसे सताते हैं,
उसे हमेशा थोंप कर देना चाहते हैं…
वो भी हम पर सब कुछ फिर थोंप देता है…
सच्चा रिश्ता अपने साथ इक यही निभाता है,
बाक़ी तो मतलब का सब रह जाता है….
कोई किसी के लिए न आता, न जाता है…
यही तो जीवन होता है,
ना किसी का कम ना ज़्यादा होता है…

ज़िन्दगी से बड़ा गुरु कोई कहाँ पाता है,
यही संघर्ष, यही ताल-मेल सिखाता है…
जनाब! बड़ा कठिन इसका हर इम्तिहान कहलाता है…
कैसे-कैसे रंग दिखाता है,
तभी तो हर क़दम मज़बूत हो पाता है…
इस बात का भी ख़्याल रखता है,
वो हर हाल में हमें मुस्कुराते हुए रखता है…
थोड़ा जज़्बा भी बचाकर रखना, जीना कुछ आसान होता है…
क्योंकि हर इम्तिहान का एक आखिरी पड़ाव होता है,
सब कर्मों का लेखा-जोखा इसके पास होता है…
ये ही तो जीवन होता है,
ये ना किसी का कम ना ज़्यादा होता है…

#रshmi

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Courtesy: Photo library from WordPress

7 Replies to “जीवन…”

  1. जीवन का सार बताने वाली कविता के लिए रश्मि का आभार। एक ऐसी ही कविता ब्राज़ील की मशहूर कवयित्री मार्था ने भी लिखी है जिसका सार भी कुछ ऐसा ही है।
    आप धीरे धीरे मरने लगते हैं जब…/ You start dying slowly…

    https://mummykiduniya.wordpress.com/2018/08/13/you-start-dying-slowly/

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