एक अजीब सी कश्मकश मचलती है मुझमें,
कोई पुरानी दिल्लगी रह गई होगी..
कभी किसी परिंदे से जुड़ जाती हूँ,
कभी चींटी से,
कभी तितली से तो कभी किसी गिलहरी से,
यहीं किसी की मेज़बानी रह गई होगी..
मुझे तो रत्ती भर अंदाज़ा नहीं इस मीठी चुभन का,
शायद किसी से कभी कोई मुलाक़ात बाकी रह गई होगी…
मिलने को आते हैं साथी मेरे,
मौन रहकर बस मुझे निहारते रहते,
कभी कोई बात अधूरी रह गई होगी…
जुगनू तो अब दिख़ते नहीं हैं,
बचपन में बड़ा बतियाते थे,
जब मेरे हाथों पर जगमगाते थे…
कोई नाता हमारे दरमियान भी रह गया होगा…
दोस्त थे शायद हम सारे, गहरे बहुत गहरे…
पर बिछड़ने के पहले मिलना-जुलना रह गया होगा !!
#रshmi
🙏🙏👏👏👌👌 superb trailer jesa tha picture bhi vesi thi 😊😊
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Thank you!☺
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Nice
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Thanks! 🙂
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Nice one Rashmi 😍
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Thanks! 🙂
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