तड़पती रही वो रात..

हमारी फ़िक्र से तुम नादाँ ना वाक़िफ़ रहे…
तड़पती रही वो रात, हर रात हम सँभलते रहे !

हम तुम्हारे रहे, तुम पर ठहरे रहे…
वो मामला कुछ और रहा जबके हम, दो जिस्मों की एक रूह रहे…
मौजूद तो रही जान बदन में जानेमन, हम मग़र बेजान रहे…
तड़पती रही वो रात, हर रात हम सँभलते रहे !

गुनाह चाहे जितने रहे, यकीन अडिग रहे…
बढ़ती रही कसक दिल में, बदस्तूर हम तेरे सजदे में झुकते रहे…
वो टीस खटकती रही जानेजाँ, जबके तुझसे लिपटे बग़ैर रोते रहे…
तड़पती रही वो रात, हर रात मग़र हम सँभलते रहे!

#रshmi

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