मजबूरी को नियति का नाम ना दे,
अपनेआप को बेचारगी का फ़रमान ना दे…
क़िस्मत में क्या है क्या नहीं,
इसका फैसला क़िस्मत के हाथ ना दे…
ख़ुद बढ़कर लिख अपना अफ़साना तू,
कह दे क़िस्मत से आकर अपना इनाम ले !!
माना हाथ बड़े हैं समय के, मग़र
समय के हाथों में अपना हाथ दे…
फहरा दे अपना विजय ध्वज तू,
बहती हवा का साथ दे…
देख ज़रा घनघोर घटाएँ काली,
छाएँ जब तब इसने ठानी…
सर अपना ऊँचा कर चल तू भी,
डरता क्यों तू, अपना अधिकार ले !!
मान मत चाहे नियम और धर्म कोई,
पर अपनी डोर अपने हाथ ले…
चुपचाप सा मन कहता है,
कलरव को आवाज़ दे…
कहाँ है वो हिम्मत, वो मति,
ढ़ूँढ़ ज़रा अपनेआप को खंगाल ले…
कर कोशिश तू अविचल,
जीवन को नया आयाम दे…
मौत ना आने पाए उस पल तक,
जब तक ना स्वयं को तू स्वीकार ले !!
#रshmi

कर कोशिश तू अविचल,
जीवन को नया आयाम दे…
अच्छा लगा पढ़कर 😊😊💐💐
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आभार!🙏☺
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बहुत खूब
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बहुत शुक्रिया !🙏☺
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Bahut hi badhiya likha hai…haare insaan me nayee josh jagaati aapki kavita….lajwaab
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जी बहुत आभार इतने सम्मान के साथ पढ़ने के लिए!🙏☺
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padhne se bahut kuchh sikhne ko milta hai……sukriya & swagat apka…
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🙂
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औरों की चित्कारों को पहचान
आर्तनाद से मुँह न मोड़
मन की बुलंदियों को
एक नए सिरे से
फिर से आवाज़ दो
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☺
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Its nice
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Thanks!
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Nice
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Thanks!
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Wow its awesome…
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Thanks a lot! 🙂
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Motivation for being strong
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Thanks. I’m glad that you liked this poem. 🙂
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Cent% true & well written👍
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Thank you! 🙂
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Pleasure♥
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अच्छा लिखते हो आप…बहुत खूब
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Shukriya! 🙂
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