कपड़ा नहीं तो ना सही, रोटी नहीं तो कोई बात नहीं…
मग़र सोचो नहीं के उनकी कोई औक़ात नहीं…
ये देखो ज़रा औक़ात अपनी, कर लो तुलना उनसे अपनी..
दिल तो बड़ा उन्हीं का है जी, कारण कष्ट है जो उन्होंने सहा वही..
घर हैं मग़र चैन की नींद नहीं नसीब तुम्हें,
आसमान से सूकून की आबो-हवा है बहती..
तुम देखकर मेवा-मिश्री मुँह बनाते फिरते,
भूखे हैं वो, उन्हें भूख निकालने की अदा आती है जी…
तुम परेशान हो देखकर के कैसे ये इतने संवेदनशील हैं फिर भी,
यही इलाज है इनका, यही उनकी पीर है जी…
करार कहाँ आता है इंसान को किसी भी हाल में,
बेहाली चाहिए, बेकरारी चाहिए दिल के मलाल में…
जीना सीखना हो तो फ़कीरी सीखा देती है,
मरने का हुनर भी ग़रीबी सीखा देती है…
अमीरी तो अच्छी है ही,
मग़र औक़ात सबकी एक सी है जी !!
#रshmi
Nice
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Thanks! 🙂
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bahut khub
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Shukriya! 🙂
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Beautiful 🙂
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🙂
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