चाहा था जिसे अपने लिये,
जो हमने गुज़ारा था,
लम्हा मेरा, हर वो तुम्हारा था…
इश्क़ किया नही यूँ ही मैंने,
हाल-ए-दिल मेहरबान भी था…
तू फ़साना मोहब्बत का,
तू तराना धड़कन का…
तू नूर है,
मैं शमा सी जल जाऊँ…
तू स्याही पिया,
मैं रंग- रंग जाऊँ…
तू चँदा,
तुझसे रोशन घर रात का…
क़ाफ़िर था, ख़ुदा भी था…
इश्क़ किया नहीं यूँ ही मैंने,
हाल-ए-दिल मेहरबान भी था !!!
तू साहिल मेरी कश्ती का,
तुझसे एहसास तसल्ली का…
तू समंदर है,
मैं नदिया सी तुझमें समाऊँ…
तू पंछी,
मैं परवाज़ बन जाऊँ…
तू दुआ,
तू रहनुमा मेरा…
मेहरम था, मरहम भी था…
इश्क़ किया नहीं यूँ ही मैंने,
हाल-ए-दिल मेहरबान भी था !!
#रshmi

खुब कहा👌
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शुक्रिया ! 🙂
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क्या बेहतरीन अभिव्यक्ति !!
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शुक्रिया गौरव जी ! 🙂
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👌😊
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Bahut sundar rashmi….Ji ….
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Shukriya!🙏
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बहुत खूब !!👌👌
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शुक्रिया … 🙂
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Bahut khub
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Shukriya! 🙂
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Nice
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Thanks!
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Waaw..u wrt so well
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Thank you!
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Welcome ma’am☺️
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तू दुआ,
तू रहनुमा मेरा…
मेहरम था, मरहम भी था…
Best line
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☺
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बहुत ही सुंदर रचना👌
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शुक्रिया! 🙂
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Nice ❤❤❤
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Thank you! 🙂
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Plz….check my blog mam ❤
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Sure. Please don’t call me ma’am. 🙂
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