इश्क़ किया नहीं यूँ ही मैंने…

चाहा था जिसे अपने लिये,
जो हमने गुज़ारा था,
लम्हा मेरा, हर वो तुम्हारा था…
इश्क़ किया नही यूँ ही मैंने,
हाल-ए-दिल मेहरबान भी था…

तू फ़साना मोहब्बत का,
तू तराना धड़कन का…
तू नूर है,
मैं शमा सी जल जाऊँ…
तू स्याही पिया,
मैं रंग- रंग जाऊँ…
तू चँदा,
तुझसे रोशन घर रात का…
क़ाफ़िर था, ख़ुदा भी था…
इश्क़ किया नहीं यूँ ही मैंने,
हाल-ए-दिल मेहरबान भी था !!!

तू साहिल मेरी कश्ती का,
तुझसे एहसास तसल्ली का…
तू समंदर है,
मैं नदिया सी तुझमें समाऊँ…
तू पंछी,
मैं परवाज़ बन जाऊँ…
तू दुआ,
तू रहनुमा मेरा…
मेहरम था, मरहम भी था…
इश्क़ किया नहीं यूँ ही मैंने,
हाल-ए-दिल मेहरबान भी था !!

#रshmi

pexels-photo-735978.jpeg
Courtesy: Photo library from WordPress

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