हम बौने ही अच्छे भईया…

हम नहीं कर पाएँगे दिखावा, ओ भईया!
हम नहीं बन पाएँगे खजूर सी ऊँची छँईया…
ले जाओ ये सामान अपना खजूर उगाने का,
हम नहीं मचा पाएँगे ये बेबुनियादी हल्ला…

लगता तो होगा गिरगिट सा तुम्हें हर बदन, मेरा भी,
पर तुम्हें ही मुब़ारक ये नज़र का पतन, तेरा ही…
चाहो तो ले आना संदेसा फिर से, पर फूल ही मुझे प्यारे हैं…
पौधे हैं हम, बौने ही अच्छे भईया!

देखो मुझमें ये एक ऐब ज़रूर है,
जानता हूँ ख़राब है, मग़र मेरा यही काम है…
सोख लेता हूँ उसे भी, जो धूल है,
फिर कैसे दिखावा करूँ मैं, जो ना मेरा मूल है…
मैं कैसे ऊँचा हो कर अर्श छू लूँ ?
ज़मीं पर उगा हूँ, ज़मीन ही मेरा स्वरूप है…
पानी पीता, धूप खाता हूँ, मग़र ख़ूशबू फैलाता हूँ…
तप-तप कर मैं बौना पौधा, अनुराग का प्रतिबिंब हो जाता हूँ…
गुलाब हैं हम, गुलाबी ही अच्छे भईया !
हम नहीं बन पाएँगे खजूर सी ऊँची छँईया !!

#रshmi

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