कवि हूँ…

आभासों और भावनाओं से भरा हूँ,
कवि हूँ,
संभावनाओं से भरा हूँ…

दुख और व्यथाओं से भरा हूँ,
कवि हूँ,
अत्याचारों से भरा हूँ…

वेदना और अवहेलनाओं से भरा हूँ,
कवि हूँ,
संवेदनाओं से भरा हूँ…

हँसी और हास्य से भरा हूँ,
कवि हूँ,
मुस्कानों से भरा हूँ…

शब्दों और परिभाषाओं से भरा हूँ,
कवि हूँ,
मुक्त विचारों से भरा हूँ…

आँसू और वीरहाघातों से भरा हूँ,
कवि हूँ,
गहरे घावों से भरा हूँ…

कला और कल्पनाओं से भरा हूँ,
कवि हूँ,
अभावों से भरा हूँ…

प्रीति और अपनत्व के इंकलाब से भरा हूँ,
कवि हूँ,
नफ़रतों के सरोकार से भरा हूँ…

उपलब्धता और सहजता के स्वभाव से भरा हूँ,
कवि हूँ,
कविताओं के आसमान से भरा हूँ !!

#रshmi

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एक ख़्याल को क़ुरेदते रहे, उसकी बदखती तक.. हलक़ में अटके एहसास ख़ुद-ब-ख़ुद कविता हो गए !! #रshmi

12 Replies to “कवि हूँ…”

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