ये वो नहीं, ये ज़िन्दगी कुछ और है…

ये वो शमा नहीं जो परवानों को जलाया करती है,
ये वो शाम है
जो आफ़ताब को जला जाया करती है…

ये वो चाँदनी नहीं जो महताब को सताया करती है,
ये वो स्याही है
जो सितारों को रंग जाया करती है…

ये वो रूख़सार नहीं जो मुस्कान को किनारे दिया करते हैं,
ये वो ललाई है
जो नैनों को रूलाया करती है…

ये वो आसमान नहीं जो बादलों की सुरमई चादर में सोया करता है,
ये वो ज़मीं है
जो मिट्टी में हीरा उपजाने की वज़ा करती है…

ये वो आबशार नहीं जो चट्टानों को भिगोया करते हैं,
ये वो चिलमन है
जो भीगे पत्थरों को ढ़का करती है..

ये वो ज़िंदगी नहीं जो सब को मिल जाया करती है,
ये वो ललक है
जो ज़िदगी से मिला दिया करती है!!

#रshmi

 

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