कवि …

वो सृजन कहाँ से आया,
जिसने कवि बनाया?
कविताएँ तो बन गईं स्वतः ही,
परन्तु कवित्व किसने जाया?

शब्दों की माला पिरोई,
रचनाओं को किसने सजाया?
मन के भावों को भाषा दी,
कल्पनाओं का ताना बाना बनाया..

वो सृजन कहाँ से आया,
जिसने कवि बनाया?

शायद वह वैरागी था कोई,
जिसने फ़कीरी को प्रेम बनाया…
परिभाषा दी गीत-राग को,
जोगियों को मझधार तराया..

शायद संत ही कवि था कोई,
निरस आवाज़ों पर जिसने कविता का मूल उपजाया..
गूँज वहाँ से आई पहली,
जिसने संगीत का उदघोष कराया..
क्राँति का स्वरूप था कोई,
जिसने परिवर्तन का शंखनाद कराया…

वो सृजन कहाँ से आया,
जिसने कवि बनाया?

शायद खुद से हारा हुआ था कोई पथिक,
जिसने नव-निर्माण का बीज उगाया..
शायद किसी नदी का मुहाना था कोई,
जिसने रेत पर जल का रेला लगाया…

वो सृजन कहाँ से आया,
जिसने कवि बनाया?

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