आरज़ूएँ तो ढ़ेरों थीं,
मग़र उनकी अदला- बदली में कुछ नहीं था…
दौलत तो बेशुमार थी,
मग़र उससे लेना-देना कुछ नहीं था..
ख़्वाब तो बहुत थे,
मग़र उन ख़्वाबों में आने को ख़ास कुछ नहीं था..
अरमान तो बहुत थे,
मग़र उनमें दम निकाल देने वाला कुछ नहीं था..
बेहतरीन थीं वो बातें,
मग़र उन बातों में रखा कुछ नहीं था..
दर्द, रंज, ख़ुशियों से भरा एक दिमाग़ तो था,
मग़र उसमें दिल में उतर जाने वाला कुछ नही था…
दिल में यूं तो था और भी बहुत कुछ,
मग़र निकल कर पन्नों तक आने वाला कुछ नहीं था…
#रshmi
