किससे कहें के हमें कोई भ्रम नहीं,
जिससे कहना है, वो भी तो भ्रम से कम नहीं..
इसकी भी कहीं कहानी शुरू हुई थी,
एक वहमी सी जुगलबंदी मिली थी..
होड़ लगी दिखावे की,
चेहरे नहीं मिले, मैनें मुखौटे देखे थे..
कहाँ गए वो मुखौटे ज़ालिम,
जिन मुखौटों में चेहरे छिपे थे !!
हर दरवाज़े पर एक दिल लगा था,
हर दिल का शामियाना सजा था..
कहाँ गए वो पत्थर दिल ज़ालिम,
जिन पत्थरों में कोई दिल छिपा था !!
हर मंज़र पर भ्रम की कालिख़ पुती थी,
हर शह पर कोई मात खड़ी थी..
बड़े मैले निकले वो दिल भी,
जिस जानिब दिलवालों की दुनिया बसी थी!!
#रshmi