बचपन की बात..

बचपन की हर बात ये बड्डपन में समझाता है,
दिल तो बच्चा है हमारा..

कहाँ नुक्कड़ से मैं गोल गप्पे ले आता था, अब हाइजीन ने तौबा करवा दी..
आज भी दिल को बहुत अजीज़ है वो बचपन वाली ख़रीददारी,
जब 1₹ में ले आते थे ‘टॉफियां’ ढेर सारी..

सब पल वो बचपन में थे, जब हम छोटे बच्चे थे..
अब भी वही आम बिक रहे हैं जो कल बिका करते थे, पर तब ख़ाने में बड़े मज़े आया करते थे..
पेड़ों पर चढ़ जाते थे और नीचे ना आने के भी अपने हज़ार बहाने थे,
शहतूत का वो पेड़ भी बहुत कुछ सिखाता था, जो सब भाई बहनों का बकर अड्डा हुआ करता था..

अपनी लंबाई बढ़ाने का भी एक बड़ा सा शौक रखा करते थे ,
‘इंचीटेप’ लिए घर में सबके चक्कर लगा लिया करते थे और छत पर जा कर भी कुछ तिकडम किया करते थे..
अब तो ‘वर्कआउट’ के नाम पर जिम की आदत लगायी है, फिर भी उस साइक्लिंग और ताड़ासन को ना हरा पायी है..
वो भी क्या वक़्त था जब ना कोई ऐब ना फ़रेब था..

मन चाहता है जी लें वही जीवन दोबारा ,
दिल तो बच्चा है हमारा !

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#रshmi

4 Replies to “बचपन की बात..”

  1. Bachpan ke din achhe the ,wo hi to din sache the,
    Ab to sab abhinay hai,feeling chhupana hi sahi hai,
    Tavi to hum mature kahe jayege,tavi to hum bade ki paribhasha me ayenge.

    I miss my bachpan.

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